Friday, April 10, 2020

जेम्स थरबर की कहानी : मुझे चांद चाहिए


जेम्स थर्बर

8 दिसंबर, 1894, को कोलंबस-ऑहियो में जन्मे जेम्स थर्बर सुविख्यात अमेरिकन लेखक, व्यंग्यकार और विनोदप्रिय व्यक्ति थे. उनको जितनी ख्याति अपनी कहानियों से मिली उससे कहीं ज्यादा यश उन्हें अपने कार्टूनों के ज़रिये मिला. थर्बर के माती-पिता ने उनके लेखन को बहुत प्रभावित किया. थर्बर के पिता जहाँ एक और अच्छा वकील या अभिनेता बन्ने का सपना पाले थे, वहीं दूसरी और थर्बर अपनी माँ को दुनिया की सबसे बेहतरीन कामेडियन मानते थे. थर्बर  की प्रमुख रचनाओं में ‘माय लाइफ एंड हार्ड टाइम्स, तथा माय वर्ल्ड एंड वेलकम टू इट अग्रणी हैं.प्रस्तुत कहानी मुझे चाँद चाहिए उनकी मशहूर चित्रकथा ‘मैनी मून्स’ का रूपांतर है जो अंग्रेजी मी काफी लोकप्रिय हो चुकी और उस पर नाटक/ओपेरा भी खेले जा चुके हैं.थर्बर का निधन : 2 नवम्बर, 1961 को न्यूयॉर्क सिटी में हुआ.

विश्व बाल साहित्य में आज पढ़िए -

जेम्स थरबर की कहानी : मुझे चांद चाहिए 
हिंदी रूपांतर : देवेन्द्र कुमार + रमेश तैलंग 

सागर के पास एक शहर बसा था – भव्य और सुंदर. वहां के राजा की बेटी का नाम था लीनोर. सब कुछ ठीक चल रहा था . राजा अपनी बेटी के सुंदर भविष्य के सपने देख रहा था. वह चाहता था कि दुनिया की हर ख़ुशी लीनोर को मिल जाए. और यह कुछ असंभव भी नहीं था. क्योंकि राजा के खजाने में इतना धन था कि उससे दुनिया की हर चीज खरीदी जा सकती थी. राजकुमारी लीनोर जैसे ही किसी चीज की फरमाइश करती, राजा उसे झटपट मंगवा देता.

राजा अपने जरूरी राजकाज में व्यस्त था, तभी उसे खबर मिली-लीनोर की तबीयत ठीक नहीं है. बात की बात में वहां राजवैद्य आ पहुंचा. उसने राजकुमारी की नब्ज़ टटोली, जीभ दिखाने को कहा, फिर दवा देकर बोला –“कोई चिंता  नहीं, राजकुमारी की तबीयत जल्दी ही ठीक हो जाएगी.

राजवैद्य की बात से राजा की चिंता कम हुई. वह कुछ देर तक लीनोर के पास बैठा. उसका माथा सहलाता रहा, फिर शांत मन से बाहर चला गया. वह एक बड़े राज्य का मालिक था. वह सदा ही व्यस्त रहता था.

लेकिन राजवैद्य की दवा का असर न हुआ. राजकुमारी ने भोजन नहीं किया, चुपचाप अपने पलंग पर लेटी  हुई खिड़की से बाहर देखती रही. उसका चेहरा उदास था. राजा परेशान हो गया. उसने लीनोर से पूछा-‘बेटी, क्या बात है? क्या तुम्हें कोई ऐसी चीज चाहिए जो आजतक न मिली हो. मुझे बताओ. मैं तुरंत मंगवा दूंगा चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो.

लेनोर चुप-चाप लेटी  रही. वह कुछ सोच रही थी. उसने पिता से कहा – ‘हाँ, मुझे वह चाहिए जो रात में दिखाई देता है.’

राजा कुछ समझ न पाया. वह सोच-सोचकर परेशान हो गया. रात हुई, वह लीनोर के पास गया. बोला –‘बेटी, बताओ वह क्या चीज है?’

लीनोर ने खुली खिड़की से दिखाई देते चांद की और इशारा करके कहा –‘मुझे चांद चाहिए.’

राजा ने काले आकाश में चम-चम चमकते चांद को टकटकी लगाकर देखा और देर तक देखता रहा फिर लीनोर से बोला-‘बेटी, मैं तुम्हारे लिए जल्दी ही चांद मंगवा दूंगा. मेरे मंत्री और दरबारी बहुत चतुर हैं. राज्य में एक से बढ़कर एक विद्वान् और जादूगर हैं. समझो की चांद मिल गया. जल्दी ही तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी. अब चिंता छोडो और आराम से सो जाओ.’

आज तक राजकुमारी की हर इच्छा पूरी की गई थी. उसे विश्वास था कि चांद जल्दी ही उसे मिल जाएगा. उसने आँखें मूँद लीं और नींद ने उसे अपनी गोदी में ले लिया.

लेकिन राजा को उस रात नींद नहीं आई. वह सोचता रहा कि  बेटी के लिए आकाश के चांद को धरती पर कैसे लाया जा सकता है. उसने तुरंत मंत्री को बुलवा भेजा, जो घबराता, दौड़ता-भागता चला आया. वह डर रहा था कि आधी रात को बुलावा क्यों? ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ था. राजा ने कहा-‘राजकुमारी को आकाश का चांद चाहिए. तुरंत लाने की व्यवस्था करो.”

सुनकर मंत्री के होश उड़ गए. वह सोचने लगा –‘आखिर यह कैसी मांग है. आज तक उसने राजा की हर मांग को पूरा किया था, फिर चाहे वह कितनी भी कठिन और बेहूदी क्यों न रही हो. उसने डरते-डरते कहा –‘महाराज, चांदमिलना कितना कठिन है. क्योंकि वह धरती से बहुत दूर आकाश में रहता है और आकार में बहुत बड़ा. धरती से आकाश की यात्रा आज तक किसी ने नहीं की. पहला कठिन काम वहां जाना, तथा दूसरी मुश्किल समस्या- चांदको धरती लाना. आज जीवन में पहली बार मुझे कहना पड़ रहा है कि यह काम मुश्किल ही नहीं, असंभव है.’

राजा को इस तरह की बात सुनना पसंद नहीं था. सच तो यह था कि आज तक उसने किसी के मुंह से ‘न’ नहीं सुना था. उसने क्रोधित स्वर में कहा-‘मूर्ख, नासमझ! अभी निकल जाओ यहां से और राज्य के बुद्धिमान दरबारी को भेज दो. बुद्धिमान दरबारी का एक विशेष पद था जिसे हर कोई सम्मान की दृष्टि से देखता था.

बुद्धिमान दरबारी को मंत्री ने पहले ही पूरी बात बता दी थी. पर वह  भी बहुत घबराया हुआ था. राजा की मांग सुनकर वह कुछ देर तक सोचता रहा. फिर बोला –‘महाराज की जय हो. आजतक मैंने  आपका हर हुक्म बजाया है. इस धरती पर ऐसी कोई चीज नहीं जो मैंने आपके मांगने पर लाकर न दी हो. लेकिन चांद तो आकाश में तैरता है. वह आकार में बहुत ऐडा है. इससे पहले धरती पर किसी ने चांदकी मांग नहीं की है, फिर आज....

राजा ने उसकी बात काटते हुए कहा-‘मेरी बेटी को चांद चाहिए. उसकी मांग पूरी होनी ही चाहिए.’

‘महाराज, चांद धरती से हजारों-लाखों मील दूर है. उसे धरती पर नहीं लाया जा सकता. यह कहने के लिए आप जो भी दंड देंगे मुझे स्वीकार है पर मैं आपको भ्रम में  नहीं रखना चाहता. यह असंभव है.’

राजा ने बुद्धिमान दरबारी को भी कमरे से भगा दिया. वह सोच रहा था –‘क्या सचमुच इन लोगों की बात ठीक है कि चांद को धरती पर नहीं लाया जा सकता. तब राजकुमारी की मांग पूरी करने  का और क्या उपाय है?’ राजा देर तक कमरे में चहलकदमी करता रहा. खिड़की से आकाश में चमकता चांददिखाई दे रहा था. एकाएक उसे दरबार का विदूषक याद आया. विदूषक अपनी लच्छेदार बातों से राजा का मन बहलाया करता था. वह बहुत हाजिर जवाब था.. राजा प्रसन्न हो कर उसे अक्सर

इनाम दिया करता था. इससे राज्य के बड़े अधिकारी विदूषक से ईर्ष्या करते थे. सोचते थे-‘ वह राजा को मूर्ख बनाकर अपना काम निकालता है.’ पर ऐसा नहीं था. विदूषक सचमुच विद्वान था.

राजा ने विदूषक को बुला भेजा. विदूषक आया और राजा को नमस्कार करके चुप खड़ा हो गया. उसे पता था की राजा क्या कहेगा.

राजा ने उसे बता दिया कि  मंत्री और बुद्धिमान दरबारी ने क्या कहा था.

विदूषक बोला-‘महाराज, वे विद्वान् और बुद्धिमान लोग हैं. चांदके बारे में उन लोगों ने जो कुछ कहा है, वह ठीक ही होना चाहिए. यह परम सत्य है कि चांद धरती से लाखों मील दूर आकाश में है, बहुत विशाल है. पर हमें यह पता करना चाहिए कि चांद के बारे में राजकुमारी जी के क्या विचार हैं. अगर हम यह जान सकें तो शायद कोई बात बन जाए.’

‘अरे, यह बात तो मैंने कभी सोची ही नहीं.’ राजा ने कहा.

विदूषक बोला –‘मैं राजकुमारी जी के पास जाकर चांद के बारे में बात करता हूँ.’

विदूषक राजकुमारी लीनोर के पास जा पहुंचा. उसे देखते ही लीनोर ने पूछा-‘क्या तुम चांद  लेकर आये हो?’

‘अभी तो नहीं लाया, पर जल्दी ही ले आऊँगा’, विदूषक ने कहा. यह तो बताइए, चांदकितना बड़ा है?’

राजकुमारी मुस्कराई. अपने अंगूठे का नाखून दिखाकर बोली-‘इस नाखून से थोडा छोटा है चांद क्योंकि जब मैं अंगूठे को आँख के सामने करती है तो चांद छिप जाता है.’

विदूषक मुस्कराया . उसने पूछा-‘भला यह तो बताइए, चांद यहां से कितनी दूर होगा?’

राजकुमारी ने खिड़की के बाहर खड़े पेड़ की और संकेत किया –‘शायद पेड़ जितना ऊंचा, क्योंकि कई बार चांद पेड़ की डालियों में अटका हुआ दिखाई देता है.’

विदूषक बोला-‘आज रात मैं पेड़ पर चढ़ जाऊंगा और डालियों में अटके चांद को उतार कर आपके पास ले आऊँगा. हाँ, यह तो बताइए, चांद किस धातु का बना हुआ है?’

‘सोने का बना है चाँद,’ लीनोर ने कहा.

विदूषक अगले दिन एक सुनार के पास गया. और उसे सोने का छोटा-सा गोल चांदबनाने को कहा. सोने का चांदबन जाने.के बाद उसमे सोने की जंजीर पिरो दी गई. फिर उसने सोने का बना  नन्हा चांदराजकुमारी लीनोर को दे दिया. उसने चेन से लटकता नन्हा चांद गले में पहन लिया. वह बहुत खुश थी. उसे जो चाहिए था मिल गया था.

राजा ने विदूषक को इनाम दिया. समस्या हल हो गई थी. लेकिन शायद नहीं. राजा को पता था कि रात को जब चांद आकाश में चमकेगा तो राजकुमारी समझ जाएगी कि उसके गले में पड़ा सोने का चांद नकली है और वह फिर से बीमार हो जायेगी.

राजा ने मंत्री से उपाय पूछा तो वह बोला-‘हमें राजकुमारी के लिए काले शीशे वाले चश्मे बनवाने चाहिए. आप उनसे कह सकते हैं की रात को काले शीशे वाले चश्मे पहनना आँखों के लिए अच्छा रहेगा.’

‘मूर्ख! राजा गुर्राया. अगर वह रात को काले शीशे वाला चश्मा पहनेगी तो हो सकता है किसी चीज से टकराकर घायल हो जाए. यह ठीक नहीं है.

अब बुद्धिमान दरबारी की बारी थी. उसने सुझाव दिया-‘महाराज, हमें राजकुमारी की खिड़की के सामने वाले पेड़ों और झाड़ियों को काले तम्बू से ढँक देना चाहिए ताकि राजकुमारी जी आकाश में चांदकी और देख ही न सकें.’

ऐसे बेढंगे सुझाव पर राजा को क्रोध आना ही थी. फिर एक और बुद्धिमान’’ को बुलाया गया. उसने कहा –‘महाराज, हमें हर रात राजकुमारी जी की खिड़की के सामने रंगबिरंगी आतिशवाजी करनी चाहिए. आतिशबाजी की चमक और धुंए में वह चांद को ठीक से देख ही नहीं पाएगी और इस तरह समस्या हल हो जाएगी.’

‘मूर्ख! आतिशबाजी की आवाज, चमक और धुंए से राजकुमारी सो नहीं पाएगी और ज्यादा बीमार हो  जाएगी.’

आखिर राजा ने फिर से विदूषक को बुला भेजा, क्योंकि आकाश  में चांद दिखाई देने लगा था. विदूषक ने कहा-‘अगर हमारे बुद्धिमान दरबारी चांद को छिपाने का तरीका नहीं ढूंढ सके तो इसका मतलब एक ही है कि चांद को छिपाया नहीं जा सकता. हमें राजकुमारी से पूछना चाहिए.

विदूषक राजा की आज्ञा से राजकुमारी के कमरे में जा पहुंचा. राजकुमारी आकाश में चमकते चांद को देख रही थी. कई बार उसने सोने के चांद को आँख के सामने  लगाकर आकाश में देखा

विदूषक ने कुछ सोचा फिर राजकुमारी से बोला-‘एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है.’

‘क्या बात?’ राजकुमारी ने पूछा.

‘यही कि सोने का चांदतो आपके गले में लटक रहा है, फिर आकाश में यह दूसरा चांद कहां से आ गया?’

राजकुमारी हंसकर बोली – ‘अरे वाह, इतनी छोटी बात भी तुम्हारी समझ में नहीं आई देखो, जब मेरा कोई दांत टूटता है तो उसके जगह नया दांत आप से आप निकल आता है. जब माली बाग़ में फूल तोड़ता है तो उसके जगह न्य फूल उग आता है. उसे तरह जब तुम आकाश का चांद धरती पर ले आये तो उसकी जगह दूर नया चांद उग आया है. इस समय वही नया चांद आकाश में चमक रहा है.’

समस्या हल हो गई थी. अब कोई डर नहीं था. आकाश का पुराना चांद राजकुमारी लीनोर के गले में जंजीर से लटक रहा था और उसकी जगह आकाश में नया चांद उग आया था. वह चम-चम चमक रहा था.

राजकुमारी शांत भाव से सो रही थी.#

No comments:

Post a Comment