Monday, April 13, 2020

खरगोश मर्जेरी विलियम्स बियांको




image credit : google wikipedia


विश्व बाल साहित्य में आज पढ़िए ब्रिटिश /अमेरिकन लेखिका 
मर्जेरी विलियम्स बियांको की कहानी - खरगोश 
हिंदी रूपांतर - देवेन्द्र कुमार + रमेश तैलंग 

एक था खरगोश पर वह असली नहीं, खिलौना खरगोश था. मखमल का बना हुआ-देखने में सुंदर, छूने में नरम. उसे जिम के लिए एक मेहमान लाया था. घर में अनेक लोग आते-जाते थे. उनमें से खिलौना खरगोश कौन लाया था यह अब जिम को याद नहीं रह गया था, पर एक बात वह हमेशा याद रखता था. जिम के पास ढेरों खिलौने थे, उनमे से कई चाबी से चलते थे, नाचते, कूदते, उछलते थे. कई बहुत सुंदर और महंगे थे, पर अब तो खरगोश ही सबसे ज्यादा अच्छा लगता था. रात में भी जिम उसे साथ लेकर सोता था.
   ऐसे में खिलौना खरगोश खुद को दूसरे सब खिलौनों से बढ़-चढ कर समझने लगा था. यह बात भला दूसरे खिलौनों को कैसे अच्छी लग सकती थी. दूसरे खिलौने खरगोश को घमंडी समझने लगे थे, हालाँकि बात ऐसी नहीं थी. खिलौनों में सबसे बूढा था एक घोडा. वह काफी समझदार था. एक दिन खरगोश और घोडा आपस में बातें कर रहे थे तो घोड़े ने कहा-तुम देखने में सुंदर हो, जिम तुम्हें पसंद करता है, पर फिर भी सच यह है कि तुम असली खरगोश नहीं हो
   सुनकर खरगोश को धक्का लगा. उसने कहा –“ तुम यह कैसे कह सकते हो कि मैं असली खरगोश नहीं है?
   घोड़े ने कहा-तुम्हे जल्दी ही पता चल जाएगा. जब जिम तुम्हें बाग में लेकर जाएगा तो असली खरगोश तुम्हे दिखाई दे जाएंगे. उस रात खिलौना खरगोश को नींद न आई. वह सोचता रहा आखिर कैसे होते हैं असली खरगोश.
   वसंत का मौसम आ गया. अब जिम खिलौना खरगोश को लेकर बाग में चला जाता. फिर उसे कहीं रखकर खेलने लगता. एक दिन की बात जब जिम बाग में खेल रहा था तो माँ ने आवाज लगाई . जिम घर में दौड गया. हडबडी में वह खिलौना खरगोश को साथ ले जाना भूल गया. शाम ढलने लगी. बाग में खेलते सभी बच्चे वहाँ से चले गए. हवा ठंडी हो गई, फिर ओस गिरने लगी. खिलौना खरगोश समझ न पाया कि अब क्या होगा. तभी घर का नौकर वहाँ आया. उसने खिलौना खरगोश को उठाया और जिम के पास ले गया. तुम अपने खिलौने इधर-उधर भूल जाते हो. लो संभालो इसे.
   जिम ने खिलौना खरगोश को प्यार से गोदी में रख लिया. बोला-यह खिलौना नहीं, असली खरगोश है. आज से मैं इसे मखमली कहा करूंगा. यह बात खरगोश को अच्छी लगी. वह सोच रहा था-अब घोडा यह कैसे कहेगा कि मैं असली खरगोश नहीं हूँ.
   पर एक दिन मखमली की मुठभेड़ असली खरगोश से हो ही गई. जिम मखमली को बाग में ले गया. फिर एक झाड़ी के पास जाकर खेलने लगा. तभी दो खरगोश उछलते हुए वहाँ आ गए. वे रुक कर मखमली खरगोश को घूरने लगे. वह सोच रहा था –“ ये दोनों मुझसे अलग हैं, जरूर ये चाबी से चलने वाले खिलौने होंगे, मेरी तरह असली खरगोश नहीं हैं.
   तभी उनमें से एक खरगोश ने मखमली से कहा –“ आओ हमारे साथ खेलो.
   मखमली जानता था कि वह नहीं चल सकता. उसने बात बनाई –“मेरा मन खेलने का नहीं है.
   दोनों खरगोश बोले-क्या तुम हमारी तरह अपने पिछले पैरों पर उछल सकते हो?
   यह सुन कर मखमली घबरा गया. वह क्या कहता, उसके पिछले पैर तो थे ही नहीं. बस, आगे के दो पैर थे, पिछला भाग चपटा था. पर कुछ तो कहना ही था. उसने कह दिया- मैं खेलकर थक गया हूँ. इसलिए आराम कर रहा हूँ. वह सोच रहा था, इन खरगोशों के तो चारों पैर हैं और मेरे केवल दो. कहीं इन्हें यह बात पता न चल जाए.
   पर वे दोनों खरगोश बहुत चतुर थे. वे जान गए कि बात क्या है, एक ने दूसरे से कहा –“अरे देखो, इस खिलौना खरगोश के तो पिछले पैर ही नहीं है. यह हमारी तरह असली खरगोश नहीं है.
   खिलौना खरगोश का मन दुखी हो गया. वह सोच रहा था-जिम तो मुझे असली खरगोश कहता है, तब फिर मैं इन खरगोशों की तरह उछल-कूद क्यों नहीं कर सकता. और मेरे पिछले पैर भी नहीं हैं. क्या मैं इन खरगोशों जैसा नहीं बन सकता? पर फिर भी मखमली ने कह ही दिया-कौन कहता है, मैं असली खरगोश नहीं हूँ. मेरे दोस्त जिम से पूछो. तभी जिम वहाँ चला आया. उसे देखते ही दोनों खरगोश वहाँ से छू मंतर हो गए. जिम ने मखमली को उठाया और घर में चला आया. मखमली सोच रहा था- काश मैं भी उन खरगोशों की तरह उछल सकता. वह बहुत दुखी था.
   कई सप्ताह बीत गए. जिम मखमली को लगातार अपने साथ रखता. उससे खेलता, रात को अपने बिस्तर में साथ सुलाता. इस तरह बार-बार छूने और रगड  खाने से मखमली के रोएं झड़ने लगे. चमकदार खोल पर जगह-जगह धब्बे उभर आये. जो देखता वही कह उठता-यह खिलौना खरगोश पहले जितना सुंदर नहीं रहा. यह सुनकर मखमली सोचता-कहीं ऐसा तो नहीं जिम मेरे बदले किसी और के साथ खेलने लगे. उसने घोड़े से पूछा तो वह बोला –“जैसे मनुष्य बूढ़े होते हैं. वैसे ही खिलौने भी पुराने हो जाते हैं.
   फिर?
फिर क्या? पुराने खिलौनों को कहीं फेंक दिया जाता है, या उन्हें रखकर भूल जाते हैं. घोड़े ने कहा. सुनकर मखमली बुरी तरह घबरा गया. तब धोडे ने उसे समझाया –“परेशान क्यों होते हो. ऐसा तो सबके साथ होता है?
   और फिर एक और बुरी बात हो गई -जिम बीमार हो गया. उसे तेज बुखार चढ़ता, वह बेहोशी में बडबड़ाने लगता, पर उस समय भी मखमली उसके पास ही रहता. घरवालों ने कई बार मखमली को जिम के बिस्तर से उठाकर अलमारी में रख दिया. पर जिम बार-बार मखमली को लेने की जिद करता. मखमली दुखी था कि जिम इतना बीमार था. पर यह देखकर अच्छा भी लगता था कि जिम उसे अब भी अपने पास रखता था. सोचता न जाने मेरा दोस्त कब ठीक होगा और मुझे लेकर बाग में जाएगा. तब मैं रंगबिरंगे फूल और तितलियाँ देख सकूंगा.
   कुछ दिन बाद जिम का बुखार उतर गया. वह स्वस्थ होने लगा. अब जिम की माँ उसे कुर्सी पर खिड़की के सामने धूप में बैठा देती. तब वह मखमली को अपनी गोद में रखे खिड़की से बाहर देखता रहता. जिम बाग में जाकर घूमना चाहता था, पर अभी वह कमजोर था. इसलिए उसके बाहर जाने की मनाही थी.
   फिर घर में सफर की तैयारियां होने लगीं. डॉक्टर ने जिम को समुद्र तट पर ले जाने की सलाह दी थी. पूरे घर में भागदौड मची थी. सामान बाँधा जा रहा था. मखमली भी खुश था कि उसे भी समुद्र देखने का मौका मिलेगा. उसने आज तक समुद्र नहीं देखा था.
   तभी डॉक्टर कमरे में आया.उसने जिम की जांच की. तभी डॉक्टर की नजर मखमली पर टिक गई. उसने कहा-अब इस खिलौना खरगोश को जिम से दूर रखा जाए. हो सकता है इसमें कीटाणु हों. इसे साथ में रखने से जिम फिर से बीमार हो सकता है.
   डॉक्टर की बात सुनते ही मखमली का सिर चकरा गया. वह कुछ समझ न पाया. तभी नौकर ने उसे उठाकर एक बोरी में डाल दिया. उसमे और भी कई पुराने खिलौने थे. मखमली ने जिम के ओर देखा, पर जिम तो आँखें बंद किए बिस्तर पर लेता था. नौकर बोरे को उठाकर बाग में ले गया. वहाँ उसने माली से कहा कि वह इन पुराने, गंदे खिलौनों को जला दे, क्योंकि इनके घर में रहने से जिम फिर से बीमार हो सकता है.
   माली उस समय सफाई के काम में लगा था. उसने कहा –“बोरे को एक तरफ रख दो. मैं काम  पूरा करके पुराने खिलौनों को जला दूंगा.
   घर में जिम के पास एक नया खिलौना आ गया था. यह भी एक खरगोश था-एकदम नया चमकीला पर वह मखमली तो नहीं था. बेचारा मखमली तो बाग में जलाए जाने का इन्तजार कर रहा था.
   माली अपना काम पूरा करके अपनी झोंपडी की तरफ चला गया. न जाने क्यों उसे बोरे में रखे पुराने खिलौनों को जलाने का ध्यान नहीं आया. अब बाग में सन्नाटा था. फिर अँधेरा छा  गया, ठंडी हवा बहने लगी. मखमली को ठण्ड लग रही थी. बोरे का मुंह बंधा नहीं था इसलिए वह बाहर झाँकने लगा. तभी मखमली ने देखा कुछ दूर पर एक फूल अँधेरे में चमक उठा. उसकी पंखुडियां फ़ैल गईं और फिर उनके बीच एक नन्ही सी लड़की दिखाई दी.
   वह एक परी थी. फूल से निकलकर परी बोरे के पास आ गई. उसने मखमली को हाथ में उठा लिया. मीठी आवाज में बोली –“तुम मुझे नहीं जानते पर मैं जानती हूँ तुम्हें. मैं उन खिलौनों का ध्यान रखती हूँ जिन्हें बच्चे प्यार करते हैं. जब वे खिलौने पुराने होने पर फेंक दिए जाते हैं तो मैं उन्हें ले जाती हूँ और......
   और ...... मखमली ने पूछा. तभी उसे लगा जैसे उसका बदन हिल रहा हो. एकाएक वह उछला और जमीन पर टिक गया, फिर इधर से उधर दौड़ने लगा. उसके कानों में आवाज आई.
   और फिर मैं उन्हें असली बना देती हूँ. जैसे तुम अब खिलौना नहीं असली खरगोश बन गए हो.
   मखमली ने देखा परी कहीं नहीं थी. हाँ, सब तरफ कई खरगोश एकाएक प्रकट हो गए थे, जो उछल रहे थे, दौड रहे थे. उनमे से एक खरगोश मखमली के पास आकर बोला –“क्या तुम हमारे साथ खेलोगे?
   हाँ, मैं खेलूंगा. मखमली ने कहा और दूसरे खरगोशों के साथ दौड़ने लगा.
   हवा में मीठी हंसी गूँज रही थी.

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