Thursday, December 5, 2013

अखिलेश श्रीवास्तव "चमन" का बाल उपन्यास -ऑपरेशन अखनूर



ऑपरेशन अखनूर 
दो किशोरों के साहस की रोमांचक कथा

ऑपरेशन अखनूर सुपरिचित बाल कथाकार अखिलेश श्रीवास्तव "चमन" का नवीनतम बाल उपन्यास है
अक्सर देखा जाता है कि पडोसी देशों से घुसपेठ करने वाले आतंकवादी अपना जघन्य मनोरथ सिद्ध करने के लिए सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले बच्चों और किशोरों को सॉफ्ट टार्गेट बनाते हैं. इन बच्चों में से अधिकांश सरल ह्रदय होने के कारण आतंकवादी सैनिकों के चंगुल में आ फंसते हैं और उन्हें कुछ ऐसी सूचनाएं दे बैठते हैं जो उनके देश के लिए घातक सिद्ध होती हैं. जब उन्हें  अपनी गलती का अहसास होता है तो बहुत देर हो चुकी होती है. फिर भी उनमें से कुछ ऐसे कुशाग्र बुद्धि  होते हैं जो  अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल करके अपनी जान तो बचा ही लेते हैं साथ ही  आतंकवादियों की विध्वंसात्मक योजना को भी धराशायी कर देते हैं.
ऑपरेशन अखनूर बाल उपन्यास की कथा  भी इसी पृष्ठभूमि को लेकर रची गई है जिसमें पडोसी देश से घुसपेठ कर रहे आतंकवादियों के षड्यंत्र का पर्दाफाश दो किशोरों  की साहसिक सूझबूझ से किया जाता है. कश्मीर के सीमार्वर्ती गाँव में रहने वाला किशोर अनवर स्कूल से लौटते हुए पडोसी देश के  दो छद्मवेशधारी  सैनिकों को ऐसी जानकारी दे देता है जिसके कारण गुलपाड़ा स्थित भारतीय चौकी के सैनिक हताहत हो जाते है और चोकी बर्बाद हो जाती है. दूसरे दिन अनवर को जब इस बात का पता चलता है तो उसे अपने किये पर पश्चाताप होता है और वह इस गलती को सुधारने के लिए अपने दोस्त हमीद के साथ उन्हीं दो सैनिकों के गुट में शामिल हो जाता है और उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि वह भारतीय सैनिकों से नफरत करता है क्योंकि वे ही उसके पिता की मृत्यु के लिए जिम्मेदार थे. धीरे-धीरे अनवर और हमीद दोनों आतंकवादियों का विश्वास जीत लेते है और उनके अड्डे पर उन्हें विस्फोटक शस्त्रों को चलाने और छापामार युद्ध करने  का प्रशिक्षण दिया जाता है. घटना चक्र तेजी से घूमता है और अनवर तथा हमीद दोनों आतंकवादियों की आँखों में धूल झोंक कर भारतीय सीमा स्थित चौकी पर जा पहुँचते हैं और ओपरेशन अखनूर योजना का सारी  गुप्त सूचनाएं भारतीय सैनिक अधिकारियों को दे देते हैं. फलस्वरूप आतंकवादियों के ओपरेशन अखनूर नामक गुप्त अभियान का अंत कर दिया जाता है.
किशोर चरित्रों को मुख्य पात्र बनाकर इस तरह के बाल उपन्यासों का लिखा जाना भले ही कुछ अविश्वसनीयता पैदा करता हो पर ऐसे चरित्र बच्चों तथा किशोरों के लिए प्रेरणात्मक अवश्य होते हैं और साथ ही उन्हें ऐसी साहसिक कथाएं पसंद भी आती हैं.
अखिलेश श्रीवास्तव चमन एक अनुभवी और सक्षम बालकथाकार हैं इसलिए इस उपन्यास में वे सतत रूप से कथा की रोचकता बनाये रखते हैं. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंदी बाल उपन्यासों में इस तरह के विषय कम लेखकों ने ही उठायें हैं. उपन्यास लगभग १०४ पृष्ठों का है और अपनी रोचक कथावस्तु तथा सहज-सरल  शैली के कारण बाल पाठकों को अवश्य पसंद आएगा. मूल्य अवश्य अधिक है. बाल साहित्य की पुस्तकों के लिए इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है.

-          रमेश तैलंग  : मो. 09211688748

समीक्ष्य पुस्तक : ऑपरेशन अखनूर (बाल उपन्यास), लेखक : अखिलेश श्रीवास्तव चमन, प्रकाशक : आलोक इंडस्ट्रीज, 35 चक (त्रिपोलिया), इलाहाबाद-233 003, सजिल्द पृष्ठ 104, संस्करण : 2013,
मूल्य : 200 रुपये.
बालवाटिका-दिसंबर:२०१३ अंक से साभार 

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