Monday, December 23, 2013

नव वर्ष के दो बाल गीत


साल पुराने जा रे जा!




साल पुराने जा रे जा!
कपडे नए पहन कर आ!

झगडा- कुट्टी
माथा-फुट्टी
नए साल में 
सबकी छुट्टी
रोनी-धोनी दूर भगा
हंसी-हंसी फिर वापस ला!

वैर की बातें 
झूठ की बातें
टूट की बातें 
फूट की बातें 
अब न हमको याद दिला
हँसे-खुशी फिर मेल मिला!


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नया वर्ष आ गया बजाता मंजीरे



गए वर्ष की आँख मुंदी धीरे-धीरे
नया वर्ष आ गया बजाता मंजीरे.

पिछली वैर भरी बातें 
डुबो समुन्दर में
हवा गुनगुनाती आई
गीत नए स्वर में 
उडी गुलाबी गंध 
घोल कर मस्ती रे!
नया वर्ष आ गया बजाता मंजीरे.

पीछे छूटा गाँव 
याद कर रोना मत
आगे बढ़ते रहना 
साहस खोना मत
संघर्षों के तले
ज़िन्दगी पलती रे!
नया वर्ष आ गया बजाता मंजीरे.

- रमेश तैलंग -


चित्र सौजन्य : गूगल


2 comments:

  1. Dono hi geet bahut joshpurna aur shandar hain....hardik badhaiyan bhai sahab....
    Hemant

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  2. नए वर्ष की कविता बहुत कुछ सिखा गई । मैं भी नए साल में झगड़ा कुट्टी -माथा फुट्टी सबकी छुट्टी कर दूँगी -रहा वायदा नए साल से ।
    सुधा भार्गव

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