बच्चों की किताबें अवांछित, अशालीन और अभद्र शब्दों के प्रदूषण से मुक्त रहें इसके उपाय दुनिया भर में ढूंढ़े जा रहे है। अमेरिका के एक दंपति ने तो, जो अपनी बेटी को "अभद्र शब्दों वाली किताबों से बचाना चाहते थे, इसके लिए एक "अप्लेकेशन" बना भी लिया हैं । इस अप्लीकेशन" में शब्दों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है -"क्लीन, क्लीनर और स्क्वीकी क्लीन" लेकिन कौन सा शब्द किस श्रेणी में रखा जायेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। निकट-भविष्य में संभव है, इसे अभिभावक स्वयं तय कर सकें।
समस्या यह है कि अभद्र शब्दावली, जिनमें गालियां भी शामिल है, का औचित्य-अनौचित्य भौगोलिक क्षेत्रों, संस्कृति तथा समय के परिवर्तन केअनुसार बदलता रहता है और इस प्रक्रिया में उत्साहवश निर्दोष शब्दों पर भी छुरी चल जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस "अप्लीकेशन" के इस्तेमाल से पहले यदि बच्चों के कुछ सम- समूह किताब के मूल पाठ को परिष्कृत होने से पहले पढ़ चुके हों तो यह सारी कवायद ही निरर्थक हो जाएगी और इस अप्लीकेशन का कम से कम उनके लिए कोई महत्व ही नहीं रहेगा।
- रमेश तैलंग
(इन्पुट्स-साभार -एकोनोमिक्स टाइम्स)
इमेज सौजन्य -गूगल)
अच्छा प्रयास है।
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